
- भोग के लिए घरों में बने व्यंजन, मंदिरों में होंगे कार्यक्रम
- स्वास्थ्य के लिए हितकर है बासोड़ा का सेवन
सिरोही. होली के बाद शीतला सप्तमी का पर्व उल्लास से मनाने की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। माता के मंदिर में मेला सजा रहेगा। श्रद्धालु माता के दरबार में धोक लगाकर खुशहाली की मन्नत मांगेगे। साथ ही बासोड़ा का भोग लगाया जाएगा। बासोड़ा का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी हितकर माना गया है।
सिरोही के छीपाओली स्थित माता के मंदिर में दिनभर मेला सजा रहेगा। वहीं, शिवगंज, पेशुआ, मनोरा, जावाल समेत जिलेभर के शीतला माता मंदिरों में विशेष कार्यक्रम होंगे। महिलाएं माता की पूजा-अर्चना कर बासोड़ा का भोग लगाएंगीं। भोग के लिए एक दिन पहले ही घरों में व्यंजन बनाए गए हैं।

पूरे दिन श्रेष्ठ रहेगा पूजन का समय
ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप दवे व शीतमा माता मंदिर पुजारी ओमप्रकाश वैष्णव ने बताया कि शीतला माता का पूजन गुरुवार (24 मार्च) को किया जाएगा। पूजन कार्यक्रम दिनभर किया जा सकेगा। पूजन समय ब्रह्ममुहूत्र्त से ब्रह्मयोग में प्रात: 04.33 बजे से पूरे दिन श्रेष्ठ रहेगा।
…ताकि प्रसाद का सदुपयोग हो
उधर, आचार्य ने श्रद्धालुओं से प्रसाद के सदुपयोग को लेकर आग्रह किया गया है। इसके तहत बताया गया है कि मंदिर में पूजा करने के साथ माता को जो भोग लगाया जाएगा उसे पैकेट में या बॉक्स में रखा जाए, ताकि प्रसाद न तो नीचे गिरे और न पानी से गीला हो। आचार्य ने बताया कि माता को श्रीफल अखंड चढ़ाने का विधान है। अखंड श्रीफल पर भेंट रखकर चढ़ाने से अभिष्ठ फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक महात्म्य है तो वैज्ञानिक महत्व भी
ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप दवे ने बताया कि बासोड़ा चढ़ाने एवं इस प्रसाद को खाने का खाने का धार्मिक महात्म्य तो है ही वैज्ञानिक महत्व भी है। इस मौसम में खाना एक या दो दिन पड़ा रहने पर उसमें फफूंद लगना शुरू हो जाती है। चिकित्सकीय भाषा में पेनीसिलीन कहा जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षतमा में वृद्धि करती है। लिहाजा बासोड़ा खाने से चेचक, फोड़े-फुंसियां एवं अन्य गर्मी जनित बीमारियों से बचाव होता है। बासोड़ा का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना गया है।#sirohi. Fairs will be decorated on Sheetla Saptami