- सरकार ने बंद कर दी राजकीय पशु ऊंट के पालक की सहायता
- पशुपालकों की उपेक्षा व महत्ती योजनाएं बंद करने का आरोप
सिरोही. राज्य पशुपालक कल्याण बोर्ड के पूर्व सदस्य भाजपा नेता नारायण देवासी ने राज्य सरकार पर पशुपालकों की अनदेखी का आरोप लगाया है। राजकीय पशु ऊंट के प्रसव के दौरान पालक को मिलने वाली सहायता राशि बंद करने एवं अन्य कई योजनाएं भी बंद करने का आरोप लगाया है। कहा कि ऊंटनी के प्रसव पर मिलने वाली सहायता राशि बंद हो गई है, जिससे ऊंट पालन से अब पशुपालकों को आय नहीं। इस कारण ऊंट पालन लगभग बंद होने के कगार पर है। ऐसा ही चलता रहा तो राजस्थान का जहाज कहलाने वाला ऊंट खत्म हो जाएगा। इसी तरह न्यूनतम दर पर अनुदानित ग्रुप बीमा के तहत बीमित पशुपालक को एक लाख की राशि का ग्रुप बीमा कवर देने की सुविधा थी, वह भी वर्तमान में बंद पड़ी है।
नुकसान उठा रहे पशुपालक
उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में पशुपालकों के लिए जो अनुदानित पशुपालक व पशु बीमा योजनाए प्रचलित थी वे वर्तमान में बंद पड़ी है। अविका कवच, अविका पाल भेड़ बीमा योजनाओं सहित योजनाएं बंद पड़ी है। गाय-भंैस व ऊंट बीमा भी बंद है। इससे पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बंद होने के कगार पर ऊंट पालन
पूर्ववर्ती सरकार ने ऊंट को राजकीय पशु घोषित करते हुए ऊंट पालकों के सहयोग के लिए ऊष्ट्र विकास योजना बनाई थी। इसके तहत ऊंटनी के ब्याने पर ऊंट पालक को तीन किश्तों में कुल दस हजार की सहायता राशि दी जाती थी। साथ ही ऊंट का अनुदानित बीमा भी किया जाता था। राज्य सरकार ने अब यह सब बंद कर रखा है। आय नहीं होने के कारण अब ऊंट पालन भी लगभग बंद होने के कगार पर है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो राजस्थान का जहाज कहलाने वाला ऊंट खत्म हो जाएगा।
जोखिम में हैं पशुपालक
निष्क्रमण कर पशुओं को चराने के लिए जाते समय पशुपालकों को पहाड़, जंगल व बीहड़ से गुजरना पड़ता है। इस दौरान जान जोखिम में रहती है। आत्मरक्षा व बचाव के लिए बंदूक के लाइसेंस अब नहीं दिए जाते हैं, जिससे पशुपालक खतरे में हैं। राजस्थान प्रदेश में बने निर्धारित निष्क्रमण मार्गों पर सुरक्षा नहीं होने से पशुपालकों में भय व असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
राज्य पशुपालक बोर्ड भी उपेक्षित
आरोप लगाया कि दो दिन पहले राज्य सरकार के 44 बोर्ड-निगम व संस्थाओं में जनप्रतिनिधियों की नियुक्तियां की है, लेकिन पशुपालक कल्याण बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं हुई। इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार पशुपालकों के विकास को लेकर गंभीर नहीं है। ज्ञातव्य है कि निष्क्रमणीय पशुपालकों के सर्वांगीण विकास की योजनाओं एवं विविध विभागों की योजनाओं का लाभ पहुंचाने व उनकी समस्याओं का हल हो सके इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार ने पशुपालक कल्याण बोर्ड बनाया था।