
- अंधकारमय जीवन से बाहर निकाल सकती है अध्यात्म की शक्ति
- राजस्थान प्रवास पर आबूरोड पहुंचीं राष्ट्रपति
सिरोही/आबूरोड. राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू दो दिवसीय प्रवास पर राजस्थान पहुंचीं। वे सिरोही व पाली जिले के दौरे पर रहेंगीं। मंगलवार को ब्रह्माकुमारी संस्थान के शांतिवन में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के तहत आयोजित आध्यात्मिक सशक्तीकरण से स्वर्णिम भारत का उदय सम्मेलन का आगाज किया।
उन्होंने कहा कि हमारे देश ने कोरोना काल में भी विश्व के अन्य देशों की मदद की। भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, आदि शंकराचार्य और संत कबीर, महात्मा गांधी की शिक्षाओं ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ-साथ भारत शांति के अग्रदूत की भी भूमिका निभा रहा है। सम्मेलन में संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, बीके करूणा, बीके मृत्युंजय, बीक सुषमा ने भी विचार व्यक्त किए।#Sirohi/Abu Road – President Smt. Draupadi Murmu reached Rajasthan on a two-day stay
अवसर मिलने पर पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती हैं महिलाएं
उन्होंने कहा कि संस्थान के सेवा केंद्रों में अध्यात्म शक्ति प्राप्त होती है। उदाहरण दिया कि वे खुद भी अंधकारमय जीवन की ओर अग्रसर हो गई थीं। मेडिटेशन और ध्यान योग के जरिए वे मुख्य धारा में लौटीं। यह संस्थान बहनें संचालित कर रही हैं और संस्थान की यह सफलता सिद्ध करती है कि अवसर मिलने पर महिलाएं पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती हैं।
महिलाओं से संचालित सबसे बड़ा संस्थान है
उन्होंने कहा कि एक आध्यात्मिक संस्था के रूप में केवल ब्रह्माकुमारी ही नहीं वरन् ऐसी कई संस्थाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। यह संस्थान विश्व के 137 देशों में पांच हजार सेवा केंद्रों का संचालन कर रहा है। महिलाओं की ओर से संचालित यह विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है।
पूरे विश्व में शांति के लिए प्रयास कर रहा है भारत
उन्होंने बालिका शिक्षा एवं महिला अत्याचार को लेकर भी उद्बोधन दिया। साथ ही कहा कि भारत को सुपर पावर बनाने के लिए अध्यात्म और विज्ञान का सहयोग जरूरी है। आज हमारा देश अपनी रक्षा के साथ पूरे विश्व में शांति के लिए प्रयास कर रहा है।
समाधान के लिए भारत पर टिकी है विश्व की निगाहें
राष्ट्रपति ने कहा कि युद्ध और कलह के वातावरण में विश्व समुदाय भारत की ओर देख रहा है। हमें कलियुग की मानसिकता को खत्म करना होगा और सतयुग की मानसिकता का आह्वान करना होगा। इसके लिए हम सबको मन में सत्वगुण को अपनाने का प्रयास करना होगा। दया और करुणा की भावना भारतवासियों के जीवन मूल्यों में है। माउंट आबू से शुरू हुआ ये अभियान समस्त भारतवासियों को सशक्त बनाने और समाज को सशक्त बनाने में संबल प्रदान करे।
विश्व शांति के लिए विज्ञान और अध्यात्म दोनों का उपयोग हो
उन्होंने कहा कि इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य मानसिक शांति के लिए प्रयास कर रहे हैं, चाहे वो किसी देश, जाति, संप्रदाय के हों। शांति भी भोजन की तरह आवश्यक है। ब्रह्माकुमारी संस्थान शांति और आनंद के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है। अध्यात्म ही वो प्रकाश पुंज है जो पूरी मानवता को सही राह दिखा सकता है। उनका मानना है कि अमृत काल में 2047 के स्वर्णिम भारत के लिए आगे बढ़ते हुए हमारे देश को विश्व शांति के लिए विज्ञान और आध्यात्म दोनों का उपयोग करना होगा। हमारा लक्ष्य है कि भारत एक नॉलेज सुपर पावर बने। हमारी आकांशा है कि इस नॉलेज का उपयोग सस्टेनेबल डवलवमेंट के लिए हो। सौहाद्र्र, महिलाओं और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए हो, युवाओं के विकास, विश्व में स्थाई शांति की स्थापना के लिए हो।
शांतिदूत की भूमिका निभा रहा है भारत
उन्होंने कहा कि भारत इस समय जी -21 की अध्यक्षता कर रहा है, जिसका थीम है वसुधैव कुटुम्बकम यानी वन अर्थ वन फैमिली, वन फ्यूचर। अपनी संस्कृति के आधार पर हमारा देश आध्यात्मिक और नैतिकता के निर्माण के लिए सक्रिय है। ब्रह्मा बाबा ने जिस सोच के साथ महिलाओं को अग्रणी भूमिका दी, इसी तरह विश्व में महिलाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है। अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के साथ भारत शांति के अग्रदूत की भी भूमिका निभा रहा है। माउंट आबू से शुरू यह क्रांति देश के लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाएगा।