
- मुद्दे अब भी लगभग वहीं और आवाज उठाने वाले भी वे ही
- जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने पर नहीं जा रहा ध्यान
सिरोही. जिला अस्पताल में पसरी अव्यवस्थाओं को लेकर सियासत हर समय गर्म रही है। फिर चाहे भाजपा का शासन रहा हो या कांग्रेस सत्ता में हो। जिन मुद्दों को लेकर जिला अस्पताल (sirohi hospital) सुर्खियों में रहता है उन पर भीड़ तो एकत्र हो जाती है, लेकिन चुनाव में जीत के बाद मुद्दे गौण हो जाते हैं। या यूं कहे कि बात आई-गई हो जाती है। अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की दिशा में न तो शासन ध्यान देता है और न प्रशासन। विपक्ष भी अपनी भूमिका सही से नहीं निभा पाता। ऐसे में जनता को उन्हीं हालातों के बीच रहना पड़ता है, जो ढर्रे पर चल रहे होते हैं। इन व्यवस्थाओं में सुधार कब होगा यह तो पता नहीं पर चुनावी रण में मुद्दे अब भी लगभग वहीं हैं और आवाज उठाने वाले भी वे ही। आइए रूबरू होते हैं ऐसे ही कुछ मुद्दों से और पुरानी बातें से। #rajasthan election 2023
जब गुजरात में मिलाने की बात कह दी
कुछ वर्ष पहले तत्कालीन विधायक ओटाराम देवासी जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर मुखर हो चुके हैं। अस्पताल में सुविधाएं नहीं होने से मरीजों को उपचार के लिए गुजरात के शहरों में जाना पड़ रहा है। इससे क्षुब्ध होकर वे सरकार से यहां तक कह चुके कि यदि सुविधाएं नहीं दे सकते हैं तो सिरोही को गुजरात में मिला दीजिए।#otaram dewasi
कलक्टर के साथ हुई हॉट टॉक भी
कुछ समय बाद वे वापस जीतकर आए और राज्यमंत्री बने। इस बार अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर पूर्व विधायक संयम लोढ़ा मुखर हुए। अस्पताल के बाहर धरना दिया तथा कलक्ट्री में प्रदर्शन किया। यहां तक कि जिला कलक्टर के साथ हॉट टॉक भी हो गई। कक्ष में पूर्व विधायक एवं कलक्टर के बीच गर्मागर्मी वाली बातचीत का वीडियो भी जमकर वायरल हुआ।#sanyam lodha
सत्ता में रहे पर सुधार नहीं कर पाए
ऐसा भी नहीं है कि धरना-प्रदर्शन करने वाले ये लीडर सत्ता से बाहर रहे हो। दोनों ही लीडर अपने-अपने समय में सत्तासीन रहे, लेकिन अस्पताल की अव्यवस्थाओं में अपेक्षित सुधार नहीं ला सके। यही कारण रहा कि जिला अस्पताल आज भी बदहाली के आंसू रो रहा है। असपताल में रिक्त पड़े पदों की समस्या हो या अन्य सुविधाएं, मरीज हर बार समस्या झेल रहे हैं।
एक नजर: स्थितियां अब भी सुधरी नहीं है
- अस्पताल परिसर स्थित चिकित्सक के आवास में एक युवती से छेड़छाड़ का मामला सामने आ चुका है।
- परिसर में बरगद के पेड़ के नीचे लावारिस रखी एक मासूम को कुछ श्वान शिकार बनाना चाह रहे थे, लेकिन लोगों की सजगता से हादसा टल गया।
- वार्ड में मां के पास सो रहे मासूम को आवारा कुत्तों का झुंड उठा ले गया तथा नोंच कर मार डाला।
- प्रसव के दौरान प्रसूता विमला की मौत हो गई। समाज के लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला।
- ऑपरेशन अब भी बाहर हो रहे हैं और सोनोग्राफी भी निजी क्लीनिकों में करवानी पड़ रही है।
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