- सांसदी के लिए दोनों ही दलों में जगह एक तरह से रिक्त ही है
- हारे हुए पर दांव खेले तो अलग बात अन्यथा आएंगे नए चेहरें
सिरोही. राजस्थान में विधानसभा चुनाव निपटने के साथ ही अब लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) की तैयारी शुरू हो गई है। जल्द ही चुनावी चौसर बिछने लगेगी, लेकिन दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों से चेहरे अब भी क्लीयर नहीं है। वैसे पिछले कुछ वर्षों से भाजपा की रणनीति को देखा जाए तो परिणाम अप्रत्याशित ही सामने आ रहे हैं। लिहाजा सांसदी के लिए इस बार किस पर दांव खेला जाएगा कहना मुश्किल है। वहीं, कांग्रेस अभी विधानसभा चुनाव में हुई अपनी करारी हार से ही नहीं उबर पाई है। कांग्रेस से पिछली बार के संासद प्रत्याशी इस बार रानीवाड़ा (raniwada) से जीत कर विधायक बन चुके हैं। भाजपा में यदि विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी को ही वापस टिकट मिल जाए तो अलग बात है, अन्यथा सांसदी के लिए दोनों ही बड़े दलों में जगह एक तरह से रिक्त ही है।
शक्ति सम्मेलन के नाम पर शक्ति प्रदर्शन
भाजपा में सांसदी के लिए दावेदारी शुरू हो भी चुकी है। बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर खुले मंच से दावेदारी जताई जा चुकी है। दो दिन पहले ही युवा शक्ति सम्मेलन के नाम पर किए गए शक्ति प्रदर्शन में कई दिग्गजों को आमंत्रित किया गया था। वक्ताओं ने भी उनको जनप्रतिनिधि बनाए जाने की पैरवी की। शहर समेत आसपास के क्षेत्र में बड़े-बड़े होर्डिंग और बैनर-पोस्टर भी लग रहे हैं।
करारी हार के बाद देवजी का नाम मुश्किल
जालोर संसदीय क्षेत्र से लगातार तीन बार से भाजपा जीत रही है। फिलवक्त भी भाजपा से ही सांसद है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में वर्तमान सांसद देवजी पटेल (devji patel) को उनके गृह क्षेत्र सांचौर से मैदान में उतारा गया। चुनाव में करारी हार के बाद एक तरह से वे बाहर ही नहीं आए हैं। ऐसे में आगामी सांसद के लिए भी भाजपा में उनका नाम तय होगा या नहीं कहना मुश्किल है।
हाथ को तीनों ही बार असफलता हाथ लगी
इस क्षेत्र से कांग्रेस ने हर बार अलग-अलग प्रत्याशी पर दांव खेला है। पहले बूटासिंह (boota singh) यहां से लगातार जीत कर गृहमंत्री तक रह चुके हैं। उनका टिकट काटने के बाद कांग्रेस ने पिण्डवाड़ा से पार्षद रह चुकीं संध्या चौधरी, पूर्व विधायक उदयलाल आंजणा व पूर्व विधायक रतन देवासी पर दांव खेला, लेकिन हाथ को तीनों ही बार असफलता हाथ लगी।
आखिर देवजी की हार क्या दर्शाती है
वैसे जालोर संसदीय क्षेत्र से तीन बार के सांसद अपने गृह क्षेत्र सांचौर में ही करारी हार का सामना कर चुके हैं। सांचौर समेत कुल आठ विधानसभा क्षेत्र मिलकर ही संसदीय क्षेत्र बनाते हैं। लिहाजा देवजी पटेल इन सभी क्षेत्रों में लीड लेकर ही सांसद बनते रहे हैं, लेकिन आठ से एक विधानसभा क्षेत्र को नहीं जीत पाना आखिर क्या दर्शाता है।
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